وَلَنْ يَّنْفَعَكُمُ الْيَوْمَ اِذْ ظَّلَمْتُمْ اَنَّكُمْ فِى الْعَذَابِ مُشْتَرِكُوْنَ ( الزخرف: ٣٩ )
And will never
وَلَن
और हरगिज़ ना
benefit you
يَنفَعَكُمُ
वो नफ़्अ देगा तुम्हें
the Day
ٱلْيَوْمَ
आज
when
إِذ
जब
you have wronged
ظَّلَمْتُمْ
ज़ुल्म कर चुके तुम
that you
أَنَّكُمْ
बेशक तुम
(will be) in
فِى
अज़ाब में
the punishment
ٱلْعَذَابِ
अज़ाब में
sharing
مُشْتَرِكُونَ
मुश्तरिक हो
Walan yanfa'akumu alyawma ith thalamtum annakum fee al'athabi mushtarikoona (az-Zukhruf 43:39)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जबकि तुम ज़ालिम ठहरे तो आज यह बात तुम्हें कुछ लाभ न पहुँचा सकेगी कि यातना में तुम एक-दूसरे के साझी हो
English Sahih:
And never will it benefit you that Day, when you have wronged, that you are [all] sharing in the punishment. ([43] Az-Zukhruf : 39)