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सूरह अल-अह्काफ़ आयत २५

تُدَمِّرُ كُلَّ شَيْءٍۢ بِاَمْرِ رَبِّهَا فَاَصْبَحُوْا لَا يُرٰىٓ اِلَّا مَسٰكِنُهُمْۗ كَذٰلِكَ نَجْزِى الْقَوْمَ الْمُجْرِمِيْنَ   ( الأحقاف: ٢٥ )

Destroying
تُدَمِّرُ
वो तबाह कर देगी
every
كُلَّ
हर
thing
شَىْءٍۭ
चीज़ को
by (the) command
بِأَمْرِ
हुक्म से
(of) its Lord
رَبِّهَا
अपने रब के
Then they became (such)
فَأَصْبَحُوا۟
फिर वो हो गए
not
لَا
कि ना दिखाई देता था (कुछ भी)
is seen
يُرَىٰٓ
कि ना दिखाई देता था (कुछ भी)
except
إِلَّا
सिवाय
their dwellings
مَسَٰكِنُهُمْۚ
उनके घरों के
Thus
كَذَٰلِكَ
इसी तरह
We recompense
نَجْزِى
हम बदला दिया करते हैं
the people
ٱلْقَوْمَ
उन लोगों को
[the] criminals
ٱلْمُجْرِمِينَ
जो मुजरिम हैं

Tudammiru kulla shayin biamri rabbiha faasbahoo la yura illa masakinuhum kathalika najzee alqawma almujrimeena (al-ʾAḥq̈āf 46:25)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

हर चीज़ को अपने रब के आदेश से विनष्ट- कर देगी।' अन्ततः वे ऐसे हो गए कि उनके रहने की जगहों के सिवा कुछ नज़र न आता था। अपराधी लोगों को हम इसी तरह बदला देते है

English Sahih:

Destroying everything by command of its Lord. And they became so that nothing was seen [of them] except their dwellings. Thus do We recompense the criminal people. ([46] Al-Ahqaf : 25)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जो अपने परवरदिगार के हुक्म से हर चीज़ को तबाह व बरबाद कर देगी तो वह ऐसे (तबाह) हुए कि उनके घरों के सिवा कुछ नज़र ही नहीं आता था हम गुनाहगारों की यूँ ही सज़ा किया करते हैं