وَلَقَدْ اَهْلَكْنَا مَا حَوْلَكُمْ مِّنَ الْقُرٰى وَصَرَّفْنَا الْاٰيٰتِ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُوْنَ ( الأحقاف: ٢٧ )
And certainly
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
We destroyed
أَهْلَكْنَا
हलाक कर दिया हमने
what
مَا
जो
surrounds you
حَوْلَكُم
तुम्हारे इर्द-गिर्द है
of
مِّنَ
बस्तियों में से
the towns
ٱلْقُرَىٰ
बस्तियों में से
and We have diversified
وَصَرَّفْنَا
और फेर-फेर कर लाए हैं हम
the Signs
ٱلْءَايَٰتِ
आयात को
that they may
لَعَلَّهُمْ
ताकि वो
return
يَرْجِعُونَ
वो लौट आऐं
Walaqad ahlakna ma hawlakum mina alqura wasarrafna alayati la'allahum yarji'oona (al-ʾAḥq̈āf 46:27)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
हम तुम्हारे आस-पास की बस्तियों को विनष्ट कर चुके हैं, हालाँकि हमने तरह-तरह से आयते पेश की थीं, ताकि वे रुजू करें
English Sahih:
And We have already destroyed what surrounds you of [those] cities, and We have diversified the signs [or verses] that perhaps they might return [from disbelief]. ([46] Al-Ahqaf : 27)