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اِنَّ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا وَصَدُّوْا عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ثُمَّ مَاتُوْا وَهُمْ كُفَّارٌ فَلَنْ يَّغْفِرَ اللّٰهُ لَهُمْ   ( محمد: ٣٤ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
and turn away
وَصَدُّوا۟
और उन्होंने रोका
from
عَن
अल्लाह के रास्ते से
(the) way
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते से
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के रास्ते से
then
ثُمَّ
फिर
died
مَاتُوا۟
वो मर गए
while they
وَهُمْ
इस हाल में कि वो
(were) disbelievers
كُفَّارٌ
काफ़िर थे
never
فَلَن
तो हरगिज़ नहीं
will Allah forgive
يَغْفِرَ
माफ़ करेगा
will Allah forgive
ٱللَّهُ
अल्लाह
them
لَهُمْ
उन्हें

Inna allatheena kafaroo wasaddoo 'an sabeeli Allahi thumma matoo wahum kuffarun falan yaghfira Allahu lahum (Muḥammad 47:34)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

निश्चय ही जिन लोगों ने इनकार किया और अल्लाह के मार्ग से रोका और इनकार करनेवाले ही रहकर मर गए, अल्लाह उन्हें कदापि क्षमा न करेगा

English Sahih:

Indeed, those who disbelieved and averted [people] from the path of Allah and then died while they were disbelievers – never will Allah forgive them. ([47] Muhammad : 34)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

बेशक जो लोग काफ़िर हो गए और लोगों को ख़ुदा की राह से रोका, फिर काफिर ही मर गए तो ख़ुदा उनको हरगिज़ नहीं बख्शेगा तो तुम हिम्मत न हारो