يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِنْ جَاۤءَكُمْ فَاسِقٌۢ بِنَبَاٍ فَتَبَيَّنُوْٓا اَنْ تُصِيْبُوْا قَوْمًاۢ بِجَهَالَةٍ فَتُصْبِحُوْا عَلٰى مَا فَعَلْتُمْ نٰدِمِيْنَ ( الحجرات: ٦ )
O you who believe!
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
O you who believe!
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
O you who believe!
ءَامَنُوٓا۟
ईमान लाए हो
If
إِن
अगर
comes to you
جَآءَكُمْ
लाए तुम्हारे पास
a wicked person
فَاسِقٌۢ
कोई फ़ासिक़
with information
بِنَبَإٍ
किसी ख़बर को
investigate
فَتَبَيَّنُوٓا۟
तो तहक़ीक़ कर लिया करो
lest
أَن
कि
you harm
تُصِيبُوا۟
(ना) तुम तक्लीफ़ पहुँचाओ
a people
قَوْمًۢا
किसी क़ौम को
in ignorance
بِجَهَٰلَةٍ
जिहालत से
then you become
فَتُصْبِحُوا۟
फिर तुम हो जाओ
over
عَلَىٰ
ऊपर
what
مَا
उसके जो
you have done
فَعَلْتُمْ
किया तुमने
regretful
نَٰدِمِينَ
नादिम
Ya ayyuha allatheena amanoo in jaakum fasiqun binabain fatabayyanoo an tuseeboo qawman bijahalatin fatusbihoo 'ala ma fa'altum nadimeena (al-Ḥujurāt 49:6)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ लोगों, जो ईमान लाए हो! यदि कोई अवज्ञाकारी तुम्हारे पास कोई ख़बर लेकर आए तो उसकी छानबीन कर लिया करो। कहीं ऐसा न हो कि तुम किसी गिरोह को अनजाने में तकलीफ़ और नुक़सान पहुँचा बैठो, फिर अपने किए पर पछताओ
English Sahih:
O you who have believed, if there comes to you a disobedient one with information, investigate, lest you harm a people out of ignorance and become, over what you have done, regretful. ([49] Al-Hujurat : 6)