Skip to main content

وَمَنْ يَّتَوَلَّ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ وَالَّذِيْنَ اٰمَنُوْا فَاِنَّ حِزْبَ اللّٰهِ هُمُ الْغٰلِبُوْنَ ࣖ   ( المائدة: ٥٦ )

And whoever
وَمَن
और जो कोई
takes as an ally
يَتَوَلَّ
दोस्ती करेगा
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह से
and His Messenger
وَرَسُولَهُۥ
और उसके रसूलों से
and those who
وَٱلَّذِينَ
और उनसे जो
believe
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
then indeed
فَإِنَّ
तो बेशक
(the) party
حِزْبَ
गिरोह
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह का
they
هُمُ
वो ही
(are) the victorious
ٱلْغَٰلِبُونَ
ग़ालिब आने वाले हैं

Waman yatawalla Allaha warasoolahu waallatheena amanoo fainna hizba Allahi humu alghaliboona (al-Māʾidah 5:56)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अब जो कोई अल्लाह और उसके रसूल और ईमानवालों को अपना मित्र बनाए, तो निश्चय ही अल्लाह का गिरोह प्रभावी होकर रहेगा

English Sahih:

And whoever is an ally of Allah and His Messenger and those who have believed – indeed, the party of Allah – they will be the predominant. ([5] Al-Ma'idah : 56)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जिस शख्स ने ख़ुदा और रसूल और (उन्हीं) ईमानदारों को अपना सरपरस्त बनाया तो (ख़ुदा के लशकर में आ गया और) इसमें तो शक नहीं कि ख़ुदा ही का लशकर वर (ग़ालिब) रहता है