يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْٓا اِذَا قُمْتُمْ اِلَى الصَّلٰوةِ فَاغْسِلُوْا وُجُوْهَكُمْ وَاَيْدِيَكُمْ اِلَى الْمَرَافِقِ وَامْسَحُوْا بِرُءُوْسِكُمْ وَاَرْجُلَكُمْ اِلَى الْكَعْبَيْنِۗ وَاِنْ كُنْتُمْ جُنُبًا فَاطَّهَّرُوْاۗ وَاِنْ كُنْتُمْ مَّرْضٰٓى اَوْ عَلٰى سَفَرٍ اَوْ جَاۤءَ اَحَدٌ مِّنْكُمْ مِّنَ الْغَاۤىِٕطِ اَوْ لٰمَسْتُمُ النِّسَاۤءَ فَلَمْ تَجِدُوْا مَاۤءً فَتَيَمَّمُوْا صَعِيْدًا طَيِّبًا فَامْسَحُوْا بِوُجُوْهِكُمْ وَاَيْدِيْكُمْ مِّنْهُ ۗمَا يُرِيْدُ اللّٰهُ لِيَجْعَلَ عَلَيْكُمْ مِّنْ حَرَجٍ وَّلٰكِنْ يُّرِيْدُ لِيُطَهِّرَكُمْ وَلِيُتِمَّ نِعْمَتَهٗ عَلَيْكُمْ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ( المائدة: ٦ )
Ya ayyuha allatheena amanoo itha qumtum ila alssalati faighsiloo wujoohakum waaydiyakum ila almarafiqi waimsahoo biruoosikum waarjulakum ila alka'bayni wain kuntum junuban faittahharoo wain kuntum marda aw 'ala safarin aw jaa ahadun minkum mina alghaiti aw lamastumu alnnisaa falam tajidoo maan fatayammamoo sa'eedan tayyiban faimsahoo biwujoohikum waaydeekum minhu ma yureedu Allahu liyaj'ala 'alaykum min harajin walakin yureedu liyutahhirakum waliyutimma ni'matahu 'alaykum la'allakum tashkuroona (al-Māʾidah 5:6)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ ईमान लेनेवालो! जब तुम नमाज़ के लिए उठो तो अपने चहरों को और हाथों को कुहनियों तक धो लिया करो और अपने सिरों पर हाथ फेर लो और अपने पैरों को भी टखनों तक धो लो। और यदि नापाक हो तो अच्छी तरह पाक हो जाओ। परन्तु यदि बीमार हो या सफ़र में हो या तुममें से कोई शौच करके आया हो या तुमने स्त्रियों को हाथ लगया हो, फिर पानी न मिले तो पाक मिट्टी से काम लो। उसपर हाथ मारकर अपने मुँह और हाथों पर फेर लो। अल्लाह तुम्हें किसी तंगी में नहीं डालना चाहता। अपितु वह चाहता हैं कि तुम्हें पवित्र करे और अपनी नेमत तुमपर पूरी कर दे, ताकि तुम कृतज्ञ बनो
English Sahih:
O you who have believed, when you rise to [perform] prayer, wash your faces and your forearms to the elbows and wipe over your heads and wash your feet to the ankles. And if you are in a state of janabah, then purify yourselves. But if you are ill or on a journey or one of you comes from the place of relieving himself or you have contacted women and do not find water, then seek clean earth and wipe over your faces and hands with it. Allah does not intend to make difficulty for you, but He intends to purify you and complete His favor upon you that you may be grateful. ([5] Al-Ma'idah : 6)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ऐ ईमानदारों जब तुम नमाज़ के लिये आमादा हो तो अपने मुंह और कोहनियों तक हाथ धो लिया करो और अपने सरों का और टखनों तक पॉवों का मसाह कर लिया करो और अगर तुम हालते जनाबत में हो तो तुम तहारत (ग़ुस्ल) कर लो (हॉ) और अगर तुम बीमार हो या सफ़र में हो या तुममें से किसी को पैख़ाना निकल आए या औरतों से हमबिस्तरी की हो और तुमको पानी न मिल सके तो पाक ख़ाक से तैमूम कर लो यानि (दोनों हाथ मारकर) उससे अपने मुंह और अपने हाथों का मसा कर लो (देखो तो ख़ुदा ने कैसी आसानी कर दी) ख़ुदा तो ये चाहता ही नहीं कि तुम पर किसी तरह की तंगी करे बल्कि वो ये चाहता है कि पाक व पाकीज़ा कर दे और तुमपर अपनी नेअमते पूरी कर दे ताकि तुम शुक्रगुज़ार बन जाओ