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وَاصْبِرْ لِحُكْمِ رَبِّكَ فَاِنَّكَ بِاَعْيُنِنَا وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ حِيْنَ تَقُوْمُۙ   ( الطور: ٤٨ )

So be patient
وَٱصْبِرْ
और सब्र कीजिए
for (the) Command
لِحُكْمِ
हुक्म के लिए
(of) your Lord
رَبِّكَ
अपने रब के
for indeed you
فَإِنَّكَ
पस बेशक आप
(are) in Our Eyes
بِأَعْيُنِنَاۖ
हमारी निगाहों के सामने हैं
And glorify
وَسَبِّحْ
और तस्बीह कीजिए
(the) praise
بِحَمْدِ
साथ तारीफ़ के
(of) your Lord
رَبِّكَ
अपने रब की
when
حِينَ
जिस वक़्त
you arise
تَقُومُ
आप खड़े होते हैं

Waisbir lihukmi rabbika fainnaka bia'yunina wasabbih bihamdi rabbika heena taqoomu (aṭ-Ṭūr 52:48)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अपने रब का फ़ैसला आने तक धैर्य से काम लो, तुम तो हमारी आँखों में हो, और जब उठो तो अपने रब का गुणगान करो;

English Sahih:

And be patient, [O Muhammad], for the decision of your Lord, for indeed, you are in Our eyes [i.e., sight]. And exalt [Allah] with praise of your Lord when you arise ([52] At-Tur : 48)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (ऐ रसूल) तुम अपने परवरदिगार के हुक्म से इन्तेज़ार में सब्र किए रहो तो तुम बिल्कुल हमारी निगेहदाश्त में हो तो जब तुम उठा करो तो अपने परवरदिगार की हम्द की तस्बीह किया करो