وَلَوْلَآ اَنْ كَتَبَ اللّٰهُ عَلَيْهِمُ الْجَلَاۤءَ لَعَذَّبَهُمْ فِى الدُّنْيَاۗ وَلَهُمْ فِى الْاٰخِرَةِ عَذَابُ النَّارِ ( الحشر: ٣ )
And if not
وَلَوْلَآ
और अगर ना होती
[that]
أَن
ये बात कि
(had) decreed
كَتَبَ
लिख दी
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह ने
for them
عَلَيْهِمُ
उन पर
the exile
ٱلْجَلَآءَ
जिला वतनी
certainly He (would) have punished them
لَعَذَّبَهُمْ
अलबत्ता वो अज़ाब देता उन्हें
in
فِى
दुनिया में
the world
ٱلدُّنْيَاۖ
दुनिया में
and for them
وَلَهُمْ
और उनके लिए
in
فِى
आख़िरत में
the Hereafter
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत में
(is) a punishment
عَذَابُ
अज़ाब है
(of) the Fire
ٱلنَّارِ
आग का
Walawla an kataba Allahu 'alayhimu aljalaa la'aththabahum fee alddunya walahum fee alakhirati 'athabu alnnari (al-Ḥašr 59:3)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
यदि अल्लाह ने उनके लिए देश निकाला न लिख दिया होता तो दुनिया में ही वह उन्हें अवश्य यातना दे देता, और आख़िरत में तो उनके लिए आग की यातना है ही
English Sahih:
And if not that Allah had decreed for them evacuation, He would have punished them in [this] world, and for them in the Hereafter is the punishment of the Fire. ([59] Al-Hashr : 3)