قُلْ اَرَاَيْتُمْ اِنْ اَخَذَ اللّٰهُ سَمْعَكُمْ وَاَبْصَارَكُمْ وَخَتَمَ عَلٰى قُلُوْبِكُمْ مَّنْ اِلٰهٌ غَيْرُ اللّٰهِ يَأْتِيْكُمْ بِهٖۗ اُنْظُرْ كَيْفَ نُصَرِّفُ الْاٰيٰتِ ثُمَّ هُمْ يَصْدِفُوْنَ ( الأنعام: ٤٦ )
Qul araaytum in akhatha Allahu sam'akum waabsarakum wakhatama 'ala quloobikum man ilahun ghayru Allahi yateekum bihi onthur kayfa nusarrifu alayati thumma hum yasdifoona (al-ʾAnʿām 6:46)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
कहो, 'क्या तुमने यह भी सोचा कि यदि अल्लाह तुम्हारे सुनने की और तुम्हारी देखने की शक्ति छीन ले और तुम्हारे दिलों पर ठप्पा लगा दे, तो अल्लाह के सिवा कौन पूज्य है जो तुम्हें ये चीज़े लाकर दे?' देखो, किस प्रकार हम तरह-तरह से अपनी निशानियाँ बयान करते है! फिर भी वे किनारा ही खींचते जाते है
English Sahih:
Say, "Have you considered: if Allah should take away your hearing and your sight and set a seal upon your hearts, which deity other than Allah could bring them [back] to you?" Look how We diversify the verses; then they [still] turn away. ([6] Al-An'am : 46)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(कि क़िस्सा पाक हुआ) (ऐ रसूल) उनसे पूछो तो कि क्या तुम ये समझते हो कि अगर ख़ुदा तुम्हारे कान और तुम्हारी ऑंखे लें ले और तुम्हारे दिलों पर मोहर कर दे तो ख़ुदा के सिवा और कौन मौजूद है जो (फिर) तुम्हें ये नेअमतें (वापस) दे (ऐ रसूल) देखो तो हम किस किस तरह अपनी दलीले बयान करते हैं इस पर भी वह लोग मुँह मोडे ज़ाते हैं