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وَاِنْ يَّكَادُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَيُزْلِقُوْنَكَ بِاَبْصَارِهِمْ لَمَّا سَمِعُوا الذِّكْرَ وَيَقُوْلُوْنَ اِنَّهٗ لَمَجْنُوْنٌ ۘ  ( القلم: ٥١ )

And indeed
وَإِن
और बेशक
would almost
يَكَادُ
क़रीब है कि
those who
ٱلَّذِينَ
जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
surely make you slip
لَيُزْلِقُونَكَ
अलबत्ता वो फुसला देंगे आपको
with their eyes
بِأَبْصَٰرِهِمْ
अपनी निगाहों से
when
لَمَّا
जब
they hear
سَمِعُوا۟
वो सुनते हैं
the Message
ٱلذِّكْرَ
ज़िक्र को
and they say
وَيَقُولُونَ
और वो कहते हैं
"Indeed he
إِنَّهُۥ
बेशक वो
(is) surely mad"
لَمَجْنُونٌ
अलबत्ता मजनून हैं

Wain yakadu allatheena kafaroo layuzliqoonaka biabsarihim lamma sami'oo alththikra wayaqooloona innahu lamajnoonun (al-Q̈alam 68:51)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जब वे लोग, जिन्होंने इनकार किया, ज़िक्र (क़ुरआन) सुनते है और कहते है, 'वह तो दीवाना है!' तो ऐसा लगता है कि वे अपनी निगाहों के ज़ोर से तुम्हें फिसला देंगे

English Sahih:

And indeed, those who disbelieve would almost make you slip with their eyes [i.e., looks] when they hear the message, and they say, "Indeed, he is mad." ([68] Al-Qalam : 51)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और कुफ्फ़ार जब क़ुरान को सुनते हैं तो मालूम होता है कि ये लोग तुम्हें घूर घूर कर (राह रास्त से) ज़रूर फिसला देंगे