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وَّمَا هُوَ بِقَوْلِ شَاعِرٍۗ قَلِيْلًا مَّا تُؤْمِنُوْنَۙ  ( الحاقة: ٤١ )

And not
وَمَا
और नहीं
it
هُوَ
ये
(is the) word
بِقَوْلِ
क़ौल
(of) a poet;
شَاعِرٍۚ
किसी शायर का
little
قَلِيلًا
कितना कम
(is) what
مَّا
कितना कम
you believe!
تُؤْمِنُونَ
तुम ईमान लाते हो

Wama huwa biqawli sha'irin qaleelan ma tuminoona (al-Ḥāq̈q̈ah 69:41)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

वह किसी कवि की वाणी नहीं। तुम ईमान थोड़े ही लाते हो

English Sahih:

And it is not the word of a poet; little do you believe. ([69] Al-Haqqah : 41)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और ये किसी शायर की तुक बन्दी नहीं तुम लोग तो बहुत कम ईमान लाते हो