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وَكَمْ مِّنْ قَرْيَةٍ اَهْلَكْنٰهَا فَجَاۤءَهَا بَأْسُنَا بَيَاتًا اَوْ هُمْ قَاۤىِٕلُوْنَ  ( الأعراف: ٤ )

And how many
وَكَم
और कितनी ही
of
مِّن
बस्तियाँ
a city
قَرْيَةٍ
बस्तियाँ
We destroyed it
أَهْلَكْنَٰهَا
हलाक कर दिया हमने उन्हें
and came to it
فَجَآءَهَا
पस आया उनके पास
Our punishment
بَأْسُنَا
अज़ाब हमारा
(at) night
بَيَٰتًا
रात के वक़्त
or
أَوْ
या
(while) they
هُمْ
वो
were sleeping at noon
قَآئِلُونَ
क़ैलूला कर रहे थे

Wakam min qaryatin ahlaknaha fajaaha basuna bayatan aw hum qailoona (al-ʾAʿrāf 7:4)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कितनी ही बस्तियाँ थीं, जिन्हें हमने विनष्टम कर दिया। उनपर हमारी यातना रात को सोते समय आ पहुँची या (दिन-दहाड़) आई, जबकि वे दोपहर में विश्राम कर रहे थे

English Sahih:

And how many cities have We destroyed, and Our punishment came to them at night or while they were sleeping at noon. ([7] Al-A'raf : 4)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तुम लोग बहुत ही कम नसीहत क़ुबूल करते हो और क्या (तुम्हें) ख़बर नहीं कि ऐसी बहुत सी बस्तियाँ हैं जिन्हें हमने हलाक कर डाला तो हमारा अज़ाब (ऐसे वक्त) आ पहुचा