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وَلَا تُفْسِدُوْا فِى الْاَرْضِ بَعْدَ اِصْلَاحِهَا وَادْعُوْهُ خَوْفًا وَّطَمَعًاۗ اِنَّ رَحْمَتَ اللّٰهِ قَرِيْبٌ مِّنَ الْمُحْسِنِيْنَ   ( الأعراف: ٥٦ )

And (do) not
وَلَا
और ना
cause corruption
تُفْسِدُوا۟
तुम फ़साद करो
in
فِى
ज़मीन में
the earth
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
after
بَعْدَ
बाद उसकी इस्लाह के
its reformation
إِصْلَٰحِهَا
बाद उसकी इस्लाह के
And call Him
وَٱدْعُوهُ
और पुकारो उसे
(in) fear
خَوْفًا
ख़ौफ
and hope
وَطَمَعًاۚ
और उम्मीद से
Indeed
إِنَّ
बेशक
(the) Mercy
رَحْمَتَ
रहमत
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की
(is) near
قَرِيبٌ
क़रीब है
for
مِّنَ
एहसान करने वालों के
the good-doers
ٱلْمُحْسِنِينَ
एहसान करने वालों के

Wala tufsidoo fee alardi ba'da islahiha waod'oohu khawfan watama'an inna rahmata Allahi qareebun mina almuhsineena (al-ʾAʿrāf 7:56)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और धरती में उसके सुधार के पश्चात बिगाड़ न पैदा करो। भय और आशा के साथ उसे पुकारो। निश्चय ही, अल्लाह की दयालुता सत्कर्मी लोगों के निकट है

English Sahih:

And cause not corruption upon the earth after its reformation. And invoke Him in fear and aspiration. Indeed, the mercy of Allah is near to the doers of good. ([7] Al-A'raf : 56)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(लोगों) अपने परवरदिगार से गिड़गिड़ाकर और चुपके - चुपके दुआ करो, वह हद से तजाविज़ करने वालों को हरगिज़ दोस्त नहीं रखता और ज़मीन में असलाह के बाद फसाद न करते फिरो और (अज़ाब) के ख़ौफ से और (रहमत) की आस लगा के ख़ुदा से दुआ मांगो