Skip to main content

لِّنَفْتِنَهُمْ فِيْهِۗ وَمَنْ يُّعْرِضْ عَنْ ذِكْرِ رَبِّهٖ يَسْلُكْهُ عَذَابًا صَعَدًاۙ  ( الجن: ١٧ )

That We might test them
لِّنَفْتِنَهُمْ
ताकि हम आज़माऐं उन्हें
therein
فِيهِۚ
उसमें
And whoever
وَمَن
और जो कोई
turns away
يُعْرِضْ
ऐराज़ करेगा
from
عَن
ज़िक्र से
the Remembrance
ذِكْرِ
ज़िक्र से
(of) his Lord
رَبِّهِۦ
अपने रब के
He will make him enter
يَسْلُكْهُ
वो दाख़िल करेगा उसे
a punishment
عَذَابًا
अज़ाब में
severe
صَعَدًا
सख़्त

Linaftinahum feehi waman yu'rid 'an thikri rabbihi yaslukhu 'athaban sa'adan (al-Jinn 72:17)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ताकि हम उसमें उनकी परीक्षा करें। और जो कोई अपने रब की याद से कतराएगा, तो वह उसे कठोर यातना में डाल देगा

English Sahih:

So We might test them therein. And whoever turns away from the remembrance of his Lord He will put into arduous punishment. ([72] Al-Jinn : 17)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ताकि उससे उनकी आज़माईश करें और जो शख़्श अपने परवरदिगार की याद से मुँह मोड़ेगा तो वह उसको सख्त अज़ाब में झोंक देगा