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اِنَّمَا نُطْعِمُكُمْ لِوَجْهِ اللّٰهِ لَا نُرِيْدُ مِنْكُمْ جَزَاۤءً وَّلَا شُكُوْرًا   ( الانسان: ٩ )

"Only
إِنَّمَا
बेशक
we feed you
نُطْعِمُكُمْ
हम खिलाते हैं तुम्हें
for (the) Countenance
لِوَجْهِ
चेहरे के लिए
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के
Not
لَا
नहीं हम चाहते
we desire
نُرِيدُ
नहीं हम चाहते
from you
مِنكُمْ
तुम से
any reward
جَزَآءً
कोई बदला
and not
وَلَا
और ना
thanks
شُكُورًا
कोई शुक्रिया

Innama nut'imukum liwajhi Allahi la nureedu minkum jazaan wala shukooran (al-ʾInsān 76:9)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

'हम तो केवल अल्लाह की प्रसन्नता के लिए तुम्हें खिलाते है, तुमसे न कोई बदला चाहते है और न कृतज्ञता ज्ञापन

English Sahih:

[Saying], "We feed you only for the face [i.e., approval] of Allah. We wish not from you reward or gratitude. ([76] Al-Insan : 9)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(और कहते हैं कि) हम तो तुमको बस ख़ालिस ख़ुदा के लिए खिलाते हैं हम न तुम से बदले के ख़ास्तगार हैं और न शुक्र गुज़ारी के