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وَمَا نَقَمُوْا مِنْهُمْ اِلَّآ اَنْ يُّؤْمِنُوْا بِاللّٰهِ الْعَزِيْزِ الْحَمِيْدِۙ   ( البروج: ٨ )

And not
وَمَا
और नहीं
they resented
نَقَمُوا۟
उन्होंने इन्तिक़ाम लिया
[of] them
مِنْهُمْ
उनसे
except
إِلَّآ
मगर
that
أَن
ये कि
they believed
يُؤْمِنُوا۟
वो ईमान लाए
in Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
the All-Mighty
ٱلْعَزِيزِ
जो बहुत ज़बरदस्त है
the Praiseworthy
ٱلْحَمِيدِ
ख़ूब तारीफ़ वाला है

Wama naqamoo minhum illa an yuminoo biAllahi al'azeezi alhameedi (al-Burūj 85:8)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उन्होंने उन (ईमानवालों) से केवल इस कारण बदला लिया और शत्रुता की कि वे उस अल्लाह पर ईमान रखते थे जो अत्यन्त प्रभुत्वशाली, प्रशंसनीय है,

English Sahih:

And they resented them not except because they believed in Allah, the Exalted in Might, the Praiseworthy, ([85] Al-Buruj : 8)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और उनको मोमिनीन की यही बात बुरी मालूम हुई कि वह लोग ख़ुदा पर ईमान लाए थे जो ज़बरदस्त और सज़ावार हम्द है