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اِنَّ الَّذِيْنَ لَا يَرْجُوْنَ لِقَاۤءَنَا وَرَضُوْا بِالْحَيٰوةِ الدُّنْيَا وَاطْمَـَٔنُّوْا بِهَا وَالَّذِيْنَ هُمْ عَنْ اٰيٰتِنَا غٰفِلُوْنَۙ  ( يونس: ٧ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
(do) not
لَا
नहीं वो उम्मीद रखते
expect
يَرْجُونَ
नहीं वो उम्मीद रखते
the meeting with Us
لِقَآءَنَا
हमारी मुलाक़ात की
and are pleased
وَرَضُوا۟
और वो राज़ी हो गए
with the life
بِٱلْحَيَوٰةِ
ज़िन्दगी पर
(of) the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया की
and feel satisfied
وَٱطْمَأَنُّوا۟
और वो मुत्मइन हो गए
with it
بِهَا
उस पर
and those -
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
they
هُمْ
वो
(are) of
عَنْ
हमारी आयात से
Our Signs
ءَايَٰتِنَا
हमारी आयात से
heedless
غَٰفِلُونَ
ग़ाफ़िल हैं

Inna allatheena la yarjoona liqaana waradoo bialhayati alddunya waitmaannoo biha waallatheena hum 'an ayatina ghafiloona (al-Yūnus 10:7)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

रहे वे लोग जो हमसे मिलने की आशा नहीं रखते और सांसारिक जीवन ही पर निहाल हो गए है और उसी पर संतुष्ट हो बैठे, और जो हमारी निशानियों की ओर से असावधान है;

English Sahih:

Indeed, those who do not expect the meeting with Us and are satisfied with the life of this world and feel secure therein and those who are heedless of Our signs – ([10] Yunus : 7)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

इसमें भी शक़ नहीं कि जिन लोगों को (क़यामत में) हमारी (बारगाह की) हुज़ूरी का ठिकाना नहीं और दुनिया की (चन्द रोज़) ज़िन्दगी से निहाल हो गए और उसी पर चैन से बैठे हैं और जो लोग हमारी आयतों से ग़ाफिल हैं