وَلِلّٰهِ يَسْجُدُ مَنْ فِى السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضِ طَوْعًا وَّكَرْهًا وَّظِلٰلُهُمْ بِالْغُدُوِّ وَالْاٰصَالِ ۩ ( الرعد: ١٥ )
And to Allah
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए
prostrates
يَسْجُدُ
सजदा करता है
whoever
مَن
जो कोई
(is) in
فِى
आसमानों में
the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में
and the earth
وَٱلْأَرْضِ
और ज़मीन में है
willingly
طَوْعًا
ख़ुशी से
or unwillingly
وَكَرْهًا
और नाख़ुशी से
and (so do) their shadows
وَظِلَٰلُهُم
और साये उनके
in the mornings
بِٱلْغُدُوِّ
सुबह
and in the afternoons
وَٱلْءَاصَالِ۩
और शाम
Walillahi yasjudu man fee alssamawati waalardi taw'an wakarhan wathilaluhum bialghuduwwi waalasali (ar-Raʿd 13:15)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
आकाशों और धरती में जो भी है स्वेच्छापूर्वक या विवशतापूर्वक अल्लाह ही को सजदा कर रहे है और उनकी परछाइयाँ भी प्रातः और संध्या समय
English Sahih:
And to Allah prostrates whoever is within the heavens and the earth, willingly or by compulsion, and their shadows [as well] in the mornings and the afternoons. ([13] Ar-Ra'd : 15)