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اِنَّ الَّذِيْنَ لَا يُؤْمِنُوْنَ بِاٰيٰتِ اللّٰهِۙ لَا يَهْدِيْهِمُ اللّٰهُ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِيْمٌ   ( النحل: ١٠٤ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो लोग जो
(do) not
لَا
नहीं ईमान लाते
believe
يُؤْمِنُونَ
नहीं ईमान लाते
in the Verses
بِـَٔايَٰتِ
साथ अल्लाह की आयात के
(of) Allah
ٱللَّهِ
साथ अल्लाह की आयात के
not
لَا
नहीं हिदायत देता उन्हें
Allah will guide them
يَهْدِيهِمُ
नहीं हिदायत देता उन्हें
Allah will guide them
ٱللَّهُ
अल्लाह
and for them
وَلَهُمْ
और उनके लिए है
(is) a punishment
عَذَابٌ
अज़ाब
painful
أَلِيمٌ
दर्दनाक

Inna allatheena la yuminoona biayati Allahi la yahdeehimu Allahu walahum 'athabun aleemun (an-Naḥl 16:104)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

सच्ची बात यह है कि जो लोग अल्लाह की आयतों को नहीं मानते, अल्लाह उनका मार्गदर्शन नहीं करता। उनके लिए तो एक दुखद यातना है

English Sahih:

Indeed, those who do not believe in the verses of Allah – Allah will not guide them, and for them is a painful punishment. ([16] An-Nahl : 104)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

इसमें तो शक ही नहीं कि जो लोग ख़ुदा की आयतों पर ईमान नहीं लाते ख़ुदा भी उनको मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाएगा और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है