الَّذِيْنَ تَتَوَفّٰىهُمُ الْمَلٰۤىِٕكَةُ ظَالِمِيْٓ اَنْفُسِهِمْ ۖفَاَلْقَوُا السَّلَمَ مَا كُنَّا نَعْمَلُ مِنْ سُوْۤءٍ ۗبَلٰىٓ اِنَّ اللّٰهَ عَلِيْمٌۢ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُوْنَ ( النحل: ٢٨ )
Allatheena tatawaffahumu almalaikatu thalimee anfusihim faalqawoo alssalama ma kunna na'malu min sooin bala inna Allaha 'aleemun bima kuntum ta'maloona (an-Naḥl 16:28)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिनकी रूहों को फ़रिश्ते इस दशा में ग्रस्त करते है कि वे अपने आप पर अत्याचार कर रहे होते है, तब आज्ञाकारी एवं वशीभूत होकर आ झुकते है कि 'हम तो कोई बुराई नहीं करते थे।' 'नहीं, बल्कि अल्लाह भली-भाँति जानता है जो कुछ तुम करते रहे हो
English Sahih:
The ones whom the angels take in death [while] wronging themselves, and [who] then offer submission, [saying], "We were not doing any evil." But, yes! Indeed, Allah is Knowing of what you used to do. ([16] An-Nahl : 28)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
वह लोग हैं कि जब फरिश्ते उनकी रुह क़ब्ज़ करने लगते हैं (और) ये लोग (कुफ्र करके) आप अपने ऊपर सितम ढ़ाते रहे तो इताअत पर आमादा नज़र आते हैं और (कहते हैं कि) हम तो (अपने ख्याल में) कोई बुराई नहीं करते थे (तो फरिश्ते कहते हैं) हाँ जो कुछ तुम्हारी करतूते थी ख़ुदा उससे खूब अच्छी तरह वाक़िफ हैं