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وَلِلّٰهِ يَسْجُدُ مَا فِى السَّمٰوٰتِ وَمَا فِى الْاَرْضِ مِنْ دَاۤبَّةٍ وَّالْمَلٰۤىِٕكَةُ وَهُمْ لَا يَسْتَكْبِرُوْنَ   ( النحل: ٤٩ )

And to Allah
وَلِلَّهِ
और अल्लाह ही के लिए
prostrate
يَسْجُدُ
सजदा करते हैं
whatever
مَا
जो
(is) in
فِى
आसमानों में है
the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتِ
आसमानों में है
and whatever
وَمَا
और जो
(is) in
فِى
ज़मीन में हैं
the earth
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में हैं
of
مِن
जानदारों में से
moving creatures
دَآبَّةٍ
जानदारों में से
and the Angels
وَٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
और फ़रिशते
and they
وَهُمْ
और वो
(are) not
لَا
नहीं वो तकब्बुर करते
arrogant
يَسْتَكْبِرُونَ
नहीं वो तकब्बुर करते

Walillahi yasjudu ma fee alssamawati wama fee alardi min dabbatin waalmalaikatu wahum la yastakbiroona (an-Naḥl 16:49)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और आकाशों और धरती में जितने भी जीवधारी है वे सब अल्लाह ही को सजदा करते है और फ़रिश्ते भी और वे घमंड बिलकुल नहीं करते

English Sahih:

And to Allah prostrates whatever is in the heavens and whatever is on the earth of creatures, and the angels [as well], and they are not arrogant. ([16] An-Nahl : 49)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जितनी चीज़ें (चादँ सूरज वग़ैरह) आसमानों में हैं और जितने जानवर ज़मीन में हैं सब ख़ुदा ही के आगे सर सजूद हैं और फरिश्ते तो (है ही) और वह हुक्में ख़ुदा से सरकशी नहीं करते (49) (सजदा)