۞ وَقَضٰى رَبُّكَ اَلَّا تَعْبُدُوْٓا اِلَّآ اِيَّاهُ وَبِالْوَالِدَيْنِ اِحْسٰنًاۗ اِمَّا يَبْلُغَنَّ عِنْدَكَ الْكِبَرَ اَحَدُهُمَآ اَوْ كِلٰهُمَا فَلَا تَقُلْ لَّهُمَآ اُفٍّ وَّلَا تَنْهَرْهُمَا وَقُلْ لَّهُمَا قَوْلًا كَرِيْمًا ( الإسراء: ٢٣ )
Waqada rabbuka alla ta'budoo illa iyyahu wabialwalidayni ihsanan imma yablughanna 'indaka alkibara ahaduhuma aw kilahuma fala taqul lahuma offin wala tanharhuma waqul lahuma qawlan kareeman (al-ʾIsrāʾ 17:23)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तुम्हारे रब ने फ़ैसला कर दिया है कि उसके सिवा किसी की बन्दगी न करो और माँ-बाप के साथ अच्छा व्यवहार करो। यदि उनमें से कोई एक या दोनों ही तुम्हारे सामने बुढ़ापे को पहुँच जाएँ तो उन्हें 'उँह' तक न कहो और न उन्हें झिझको, बल्कि उनसे शिष्टतापूर्वक बात करो
English Sahih:
And your Lord has decreed that you worship not except Him, and to parents, good treatment. Whether one or both of them reach old age [while] with you, say not to them [so much as], "uff," and do not repel them but speak to them a noble word. ([17] Al-Isra : 23)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और तुम्हारे परवरदिगार ने तो हुक्म ही दिया है कि उसके सिवा किसी दूसरे की इबादत न करना और माँ बाप से नेकी करना अगर उनमें से एक या दोनों तेरे सामने बुढ़ापे को पहुँचे (और किसी बात पर खफा हों) तो (ख़बरदार उनके जवाब में उफ तक) न कहना और न उनको झिड़कना और जो कुछ कहना सुनना हो तो बहुत अदब से कहा करो