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قُلْ لَّوْ كَانَ فِى الْاَرْضِ مَلٰۤىِٕكَةٌ يَّمْشُوْنَ مُطْمَىِٕنِّيْنَ لَنَزَّلْنَا عَلَيْهِمْ مِّنَ السَّمَاۤءِ مَلَكًا رَّسُوْلًا  ( الإسراء: ٩٥ )

Say
قُل
कह दीजिए
"If
لَّوْ
अगर
(there) were
كَانَ
होते
in
فِى
ज़मीन में
the earth
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
Angels
مَلَٰٓئِكَةٌ
फ़रिश्ते
walking
يَمْشُونَ
चलते-फिरते
securely
مُطْمَئِنِّينَ
इत्मिनान के साथ
surely We (would) have sent down
لَنَزَّلْنَا
अलबत्ता नाज़िल करते हम
to them
عَلَيْهِم
उन पर
from
مِّنَ
आसमान से
the heaven
ٱلسَّمَآءِ
आसमान से
an Angel
مَلَكًا
एक फ़रिश्ता
(as) a Messenger"
رَّسُولًا
रसूल

Qul law kana fee alardi malaikatun yamshoona mutmainneena lanazzalna 'alayhim mina alssamai malakan rasoolan (al-ʾIsrāʾ 17:95)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कह दो, 'यदि धरती में फ़रिश्ते आबाद होकर चलते-फिरते होते तो हम उनके लिए अवश्य आकाश से किसी फ़रिश्ते ही को रसूल बनाकर भेजते।'

English Sahih:

Say, "If there were upon the earth angels walking securely, We would have sent down to them from the heaven an angel [as a] messenger." ([17] Al-Isra : 95)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर ज़मीन पर फ़रिश्ते (बसे हुये) होते कि इत्मेनान से चलते फिरते तो हम उन लोगों के पास फ़रिश्ते ही को रसूल बनाकर नाज़िल करते