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وَيَوْمَ نُسَيِّرُ الْجِبَالَ وَتَرَى الْاَرْضَ بَارِزَةًۙ وَّحَشَرْنٰهُمْ فَلَمْ نُغَادِرْ مِنْهُمْ اَحَدًاۚ   ( الكهف: ٤٧ )

And the Day
وَيَوْمَ
और जिस दिन
We will cause (to) move
نُسَيِّرُ
हम चलाऐंगे
the mountains
ٱلْجِبَالَ
पहाड़ों को
and you will see
وَتَرَى
और आप देखेंगे
the earth
ٱلْأَرْضَ
ज़मीन को
(as) a leveled plain
بَارِزَةً
खुली हुई/अयाँ
and We will gather them
وَحَشَرْنَٰهُمْ
और इकट्ठा कर लेंगे हम उन्हें
and not
فَلَمْ
फिर नहीं
We will leave behind
نُغَادِرْ
हम छोड़ेंगे
from them
مِنْهُمْ
उनमें से
anyone
أَحَدًا
किसी एक को

Wayawma nusayyiru aljibala watara alarda barizatan wahasharnahum falam nughadir minhum ahadan (al-Kahf 18:47)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जिस दिन हम पहाड़ों को चलाएँगे और तुम धरती को बिलकुल नग्न देखोगे और हम उन्हें इकट्ठा करेंगे तो उनमें से किसी एक को भी न छोड़ेंगे

English Sahih:

And [warn of] the Day when We will remove the mountains and you will see the earth exposed, and We will gather them and not leave behind from them anyone. ([18] Al-Kahf : 47)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (उस दिन से डरो) जिस दिन हम पहाड़ों को चलाएँगें और तुम ज़मीन को खुला मैदान (पहाड़ों से) खाली देखोगे और हम इन सभी को इकट्ठा करेगे तो उनमें से एक को न छोड़ेगें