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وَاَقِيْمُوا الصَّلٰوةَ وَاٰتُوا الزَّكٰوةَ ۗ وَمَا تُقَدِّمُوْا لِاَنْفُسِكُمْ مِّنْ خَيْرٍ تَجِدُوْهُ عِنْدَ اللّٰهِ ۗ اِنَّ اللّٰهَ بِمَا تَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ  ( البقرة: ١١٠ )

And establish
وَأَقِيمُوا۟
और क़ायम करो
the prayer
ٱلصَّلَوٰةَ
नमाज़
and give
وَءَاتُوا۟
और अदा करो
[the] zakah
ٱلزَّكَوٰةَۚ
ज़कात
And whatever
وَمَا
और जो भी
you send forth
تُقَدِّمُوا۟
तुम आगे भेजोगे
for yourselves
لِأَنفُسِكُم
अपने नफ़्सों के लिए
of
مِّنْ
कोई ख़ैर
good (deeds)
خَيْرٍ
कोई ख़ैर
you will find it
تَجِدُوهُ
तुम पाओगे उसे
with
عِندَ
अल्लाह के पास
Allah
ٱللَّهِۗ
अल्लाह के पास
Indeed
إِنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
of what
بِمَا
उसको जो
you do
تَعْمَلُونَ
तुम अमल करते हो
(is) All-Seer
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है

Waaqeemoo alssalata waatoo alzzakata wama tuqaddimoo lianfusikum min khayrin tajidoohu 'inda Allahi inna Allaha bima ta'maloona baseerun (al-Baq̈arah 2:110)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और नमाज़ कायम करो और ज़कात दो और तुम स्वयं अपने लिए जो भलाई भी पेश करोगे, उसे अल्लाह के यहाँ मौजूद पाओगे। निस्संदेह जो कुछ तुम करते हो, अल्लाह उसे देख रहा है

English Sahih:

And establish prayer and give Zakah, and whatever good you put forward for yourselves – you will find it with Allah. Indeed Allah, of what you do, is Seeing. ([2] Al-Baqarah : 110)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और नमाज़ पढ़ते रहो और ज़कात दिये जाओ और जो कुछ भलाई अपने लिए (खुदा के यहाँ) पहले से भेज दोगे उस (के सवाब) को मौजूद पाआगे जो कुछ तुम करते हो उसे खुदा ज़रूर देख रहा है