۞ لَيْسَ عَلَيْكَ هُدٰىهُمْ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ يَهْدِيْ مَنْ يَّشَاۤءُ ۗوَمَا تُنْفِقُوْا مِنْ خَيْرٍ فَلِاَنْفُسِكُمْ ۗوَمَا تُنْفِقُوْنَ اِلَّا ابْتِغَاۤءَ وَجْهِ اللّٰهِ ۗوَمَا تُنْفِقُوْا مِنْ خَيْرٍ يُّوَفَّ اِلَيْكُمْ وَاَنْتُمْ لَا تُظْلَمُوْنَ ( البقرة: ٢٧٢ )
Laysa 'alayka hudahum walakinna Allaha yahdee man yashao wama tunfiqoo min khayrin falianfusikum wama tunfiqoona illa ibtighaa wajhi Allahi wama tunfiqoo min khayrin yuwaffa ilaykum waantum la tuthlamoona (al-Baq̈arah 2:272)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उन्हें मार्ग पर ला देने का दायित्व तुम पर नहीं है, बल्कि अल्लाह ही जिसे चाहता है मार्ग दिखाता है। और जो कुछ भी माल तुम ख़र्च करोगे, वह तुम्हारे अपने ही भले के लिए होगा और तुम अल्लाह के (बताए हुए) उद्देश्य के अतिरिक्त किसी और उद्देश्य से ख़र्च न करो। और जो माल भी तुम्हें तुम ख़र्च करोगे, वह पूरा-पूरा तुम्हें चुका दिया जाएगा और तुम्हारा हक़ न मारा जाएगा
English Sahih:
Not upon you, [O Muhammad], is [responsibility for] their guidance, but Allah guides whom He wills. And whatever good you [believers] spend is for yourselves, and you do not spend except seeking the face [i.e., approval] of Allah. And whatever you spend of good – it will be fully repaid to you, and you will not be wronged. ([2] Al-Baqarah : 272)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ऐ रसूल उनका मंज़िले मक़सूद तक पहुंचाना तुम्हारा काम नहीं (तुम्हारा काम सिर्फ रास्ता दिखाना है) मगर हॉ ख़ुदा जिसको चाहे मंज़िले मक़सूद तक पहुंचा दे और (लोगों) तुम जो कुछ नेक काम में ख़र्च करोगे तो अपने लिए और तुम ख़ुदा की ख़ुशनूदी के सिवा और काम में ख़र्च करते ही नहीं हो (और जो कुछ तुम नेक काम में ख़र्च करोगे) (क़यामत में) तुमको भरपूर वापस मिलेगा और तुम्हारा हक़ न मारा जाएगा