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يٰٓاَيُّهَا الَّذِيْنَ اٰمَنُوْا لَا تَدْخُلُوْا بُيُوْتًا غَيْرَ بُيُوْتِكُمْ حَتّٰى تَسْتَأْنِسُوْا وَتُسَلِّمُوْا عَلٰٓى اَهْلِهَاۗ ذٰلِكُمْ خَيْرٌ لَّكُمْ لَعَلَّكُمْ تَذَكَّرُوْنَ   ( النور: ٢٧ )

O you
يَٰٓأَيُّهَا
ऐ लोगो जो
who
ٱلَّذِينَ
ऐ लोगो जो
believe!
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए हो
(Do) not
لَا
ना तुम दाख़िल हो
enter
تَدْخُلُوا۟
ना तुम दाख़िल हो
houses
بُيُوتًا
घरों में
other (than)
غَيْرَ
सिवाए
your houses
بُيُوتِكُمْ
अपने घरों के
until
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
you have asked permission
تَسْتَأْنِسُوا۟
तुम उनस हासिल कर लो
and you have greeted
وَتُسَلِّمُوا۟
और तुम सलाम करो
[on]
عَلَىٰٓ
ऊपर
its inhabitants
أَهْلِهَاۚ
उसके रहने वालों के
That
ذَٰلِكُمْ
ये बात
(is) best
خَيْرٌ
बेहतर है
for you
لَّكُمْ
तुम्हारे लिए
so that you may
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
pay heed
تَذَكَّرُونَ
तुम नसीहत पकड़ो

Ya ayyuha allatheena amanoo la tadkhuloo buyootan ghayra buyootikum hatta tastanisoo watusallimoo 'ala ahliha thalikum khayrun lakum la'allakum tathakkaroona (an-Nūr 24:27)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ऐ ईमान लानेवालो! अपने घरों के सिवा दूसरे घऱों में प्रवेश करो, जब तक कि रज़ामन्दी हासिल न कर लो और उन घरवालों को सलाम न कर लो। यही तुम्हारे लिए उत्तम है, कदाचित तुम ध्यान रखो

English Sahih:

O you who have believed, do not enter houses other than your own houses until you ascertain welcome and greet their inhabitants. That is best for you; perhaps you will be reminded [i.e., advised]. ([24] An-Nur : 27)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और इज्ज़त की रोज़ी ऐ ईमानदारों अपने घरों के सिवा दूसरे घरों में (दर्राना) न चले जाओ यहाँ तक कि उनसे इजाज़त ले लो और उन घरों के रहने वालों से साहब सलामत कर लो यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है