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وَلَقَدْ اَتَوْا عَلَى الْقَرْيَةِ الَّتِيْٓ اُمْطِرَتْ مَطَرَ السَّوْءِۗ اَفَلَمْ يَكُوْنُوْا يَرَوْنَهَاۚ بَلْ كَانُوْا لَا يَرْجُوْنَ نُشُوْرًا   ( الفرقان: ٤٠ )

And verily
وَلَقَدْ
और अलबत्ता तहक़ीक़
they have come
أَتَوْا۟
वो आ चुके
upon
عَلَى
उस बस्ती पर
the town
ٱلْقَرْيَةِ
उस बस्ती पर
which
ٱلَّتِىٓ
जिस पर
was showered
أُمْطِرَتْ
बरसाई गई थी
(with) a rain
مَطَرَ
बारिश
(of) evil
ٱلسَّوْءِۚ
बुरी
Then do not
أَفَلَمْ
क्या भला नहीं
they [were]
يَكُونُوا۟
थे वो
see it?
يَرَوْنَهَاۚ
वो देखते उसे
Nay
بَلْ
बल्कि
they are
كَانُوا۟
थे वो
not
لَا
ना वो उम्मीद रखते
expecting
يَرْجُونَ
ना वो उम्मीद रखते
Resurrection
نُشُورًا
जी उठने की

Walaqad ataw 'ala alqaryati allatee omtirat matara alssawi afalam yakoonoo yarawnaha bal kanoo la yarjoona nushooran (al-Furq̈ān 25:40)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और उस बस्ती पर से तो वे हो आए है जिसपर बुरी वर्षा बरसी; तो क्या वे उसे देखते नहीं रहे हैं? नहीं, बल्कि वे दोबारा जीवित होकर उठने की आशा ही नहीं रखते रहे है

English Sahih:

And they have already come upon the town which was showered with a rain of evil [i.e., stones]. So have they not seen it? But they are not expecting resurrection. ([25] Al-Furqan : 40)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

हमने उनको ख़ूब सत्यानास कर छोड़ा और ये लोग (कुफ्फ़ारे मक्का) उस बस्ती पर (हो) आए हैं जिस पर (पत्थरों की) बुरी बारिश बरसाई गयी तो क्या उन लोगों ने इसको देखा न होगा मगर (बात ये है कि) ये लोग मरने के बाद जी उठने की उम्मीद नहीं रखते (फिर क्यों ईमान लाएँ)