۞ وَسَارِعُوْٓا اِلٰى مَغْفِرَةٍ مِّنْ رَّبِّكُمْ وَجَنَّةٍ عَرْضُهَا السَّمٰوٰتُ وَالْاَرْضُۙ اُعِدَّتْ لِلْمُتَّقِيْنَۙ ( آل عمران: ١٣٣ )
And hasten
وَسَارِعُوٓا۟
और एक दूसरे से जल्दी करो
to
إِلَىٰ
तरफ़ बख़्शिश के
forgiveness
مَغْفِرَةٍ
तरफ़ बख़्शिश के
from
مِّن
अपने रब की तरफ़ से
your Lord
رَّبِّكُمْ
अपने रब की तरफ़ से
and a Garden -
وَجَنَّةٍ
और जन्नत के
its width
عَرْضُهَا
चौड़ाई है जिसकी
(is like that of) the heavens
ٱلسَّمَٰوَٰتُ
आसमान
and the earth
وَٱلْأَرْضُ
और ज़मीन
prepared
أُعِدَّتْ
वो तैयार की गई है
for the pious
لِلْمُتَّقِينَ
मुत्तक़ी लोगों के लिए
Wasari'oo ila maghfiratin min rabbikum wajannatin 'arduha alssamawatu waalardu o'iddat lilmuttaqeena (ʾĀl ʿImrān 3:133)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और अपने रब की क्षमा और उस जन्नत की ओर बढ़ो, जिसका विस्तार आकाशों और धरती जैसा है। वह उन लोगों के लिए तैयार है जो डर रखते है
English Sahih:
And hasten to forgiveness from your Lord and a garden [i.e., Paradise] as wide as the heavens and earth, prepared for the righteous ([3] Ali 'Imran : 133)