وَالَّذِيْنَ اِذَا فَعَلُوْا فَاحِشَةً اَوْ ظَلَمُوْٓا اَنْفُسَهُمْ ذَكَرُوا اللّٰهَ فَاسْتَغْفَرُوْا لِذُنُوْبِهِمْۗ وَمَنْ يَّغْفِرُ الذُّنُوْبَ اِلَّا اللّٰهُ ۗ وَلَمْ يُصِرُّوْا عَلٰى مَا فَعَلُوْا وَهُمْ يَعْلَمُوْنَ ( آل عمران: ١٣٥ )
Waallatheena itha fa'aloo fahishatan aw thalamoo anfusahum thakaroo Allaha faistaghfaroo lithunoobihim waman yaghfiru alththunooba illa Allahu walam yusirroo 'ala ma fa'aloo wahum ya'lamoona (ʾĀl ʿImrān 3:135)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जिनका हाल यह है कि जब वे कोई खुला गुनाह कर बैठते है या अपने आप पर ज़ुल्म करते है तौ तत्काल अल्लाह उन्हें याद आ जाता है और वे अपने गुनाहों की क्षमा चाहने लगते हैं - और अल्लाह के अतिरिक्त कौन है, जो गुनाहों को क्षमा कर सके? और जानते-बूझते वे अपने किए पर अड़े नहीं रहते
English Sahih:
And those who, when they commit an immorality or wrong themselves [by transgression], remember Allah and seek forgiveness for their sins – and who can forgive sins except Allah? – and [who] do not persist in what they have done while they know. ([3] Ali 'Imran : 135)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और लोग इत्तिफ़ाक़ से कोई बदकारी कर बैठते हैं या आप अपने ऊपर जुल्म करते हैं तो ख़ुदा को याद करते हैं और अपने गुनाहों की माफ़ी मॉगते हैं और ख़ुदा के सिवा गुनाहों का बख्शने वाला और कौन है और जो (क़ूसूर) वह (नागहानी) कर बैठे तो जानबूझ कर उसपर हट नहीं करते