اِذْ قَالَتِ امْرَاَتُ عِمْرَانَ رَبِّ اِنِّيْ نَذَرْتُ لَكَ مَا فِيْ بَطْنِيْ مُحَرَّرًا فَتَقَبَّلْ مِنِّيْ ۚ اِنَّكَ اَنْتَ السَّمِيْعُ الْعَلِيْمُ ( آل عمران: ٣٥ )
Ith qalati imraatu 'imrana rabbi innee nathartu laka ma fee batnee muharraran fataqabbal minnee innaka anta alssamee'u al'aleemu (ʾĀl ʿImrān 3:35)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
याद करो जब इमरान की स्त्री ने कहा, 'मेरे रब! जो बच्चा मेरे पेट में है उसे मैंने हर चीज़ से छुड़ाकर भेट स्वरूप तुझे अर्पित किया। अतः तू उसे मेरी ओर से स्वीकार कर। निस्संदेह तू सब कुछ सुनता, जानता है।'
English Sahih:
[Mention, O Muhammad], when the wife of Imran said, "My Lord, indeed I have pledged to You what is in my womb, consecrated [for Your service], so accept this from me. Indeed, You are the Hearing, the Knowing." ([3] Ali 'Imran : 35)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल वह वक्त याद करो) जब इमरान की बीवी ने (ख़ुदा से) अर्ज़ की कि ऐ मेरे पालने वाले मेरे पेट में जो बच्चा है (उसको मैं दुनिया के काम से) आज़ाद करके तेरी नज़्र करती हूं तू मेरी तरफ़ से (ये नज़्र कुबूल फ़रमा तू बेशक बड़ा सुनने वाला और जानने वाला है