مَنْ كَفَرَ فَعَلَيْهِ كُفْرُهٗۚ وَمَنْ عَمِلَ صَالِحًا فَلِاَنْفُسِهِمْ يَمْهَدُوْنَۙ ( الروم: ٤٤ )
Whoever
مَن
जिसने
disbelieves
كَفَرَ
कुफ़्र किया
then against him
فَعَلَيْهِ
तोउसी पर है
(is) his disbelief
كُفْرُهُۥۖ
कुफ़्र उसका
And whoever
وَمَنْ
और जिसने
does
عَمِلَ
अमल किया
righteousness
صَٰلِحًا
नेक
then for themselves
فَلِأَنفُسِهِمْ
तो अपने ही नफ़्सों के लिए
they are preparing
يَمْهَدُونَ
वो राह हमवार कर रहे हैं
Man kafara fa'alayhi kufruhu waman 'amila salihan falianfusihim yamhadoona (ar-Rūm 30:44)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिस किसी ने इनकार किया तो उसका इनकार उसी के लिए घातक सिद्ध होगा, और जिन लोगों ने अच्छा कर्म किया वे अपने ही लिए आराम का साधन जुटा रहे है
English Sahih:
Whoever disbelieves – upon him is [the consequence of] his disbelief. And whoever does righteousness – they are for themselves preparing, ([30] Ar-Rum : 44)