اِذْ جَاۤءُوْكُمْ مِّنْ فَوْقِكُمْ وَمِنْ اَسْفَلَ مِنْكُمْ وَاِذْ زَاغَتِ الْاَبْصَارُ وَبَلَغَتِ الْقُلُوْبُ الْحَنَاجِرَ وَتَظُنُّوْنَ بِاللّٰهِ الظُّنُوْنَا۠ ۗ ( الأحزاب: ١٠ )
When
إِذْ
जब
they came upon you
جَآءُوكُم
वो आए तुम पर
from
مِّن
तुम्हारे ऊपर से
above you
فَوْقِكُمْ
तुम्हारे ऊपर से
and from
وَمِنْ
और नीचे से
below
أَسْفَلَ
और नीचे से
you
مِنكُمْ
तुम्हारे
and when
وَإِذْ
और जब
grew wild
زَاغَتِ
फिर गईं
the eyes
ٱلْأَبْصَٰرُ
निगाहें
and reached
وَبَلَغَتِ
और पहुँच गए
the hearts
ٱلْقُلُوبُ
दिल
the throats
ٱلْحَنَاجِرَ
गलों तक
and you assumed
وَتَظُنُّونَ
और तुम गुमान कर रहे थे
about Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह के बारे में
the assumptions
ٱلظُّنُونَا۠
बहुत से गुमान
Ith jaookum min fawqikum wamin asfala minkum waith zaghati alabsaru wabalaghati alquloobu alhanajira watathunnoona biAllahi alththunoona (al-ʾAḥzāb 33:10)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
याद करो जब वे तुम्हारे ऊपर की ओर से और तुम्हारे नीचे की ओर से भी तुमपर चढ़ आए, और जब निगाहें टेढ़ी-तिरछी हो गई और उर (हृदय) कंठ को आ लगे। और तुम अल्लाह के बारे में तरह-तरह के गुमान करने लगे थे
English Sahih:
[Remember] when they came at you from above you and from below you, and when eyes shifted [in fear], and hearts reached the throats, and you assumed about Allah [various] assumptions. ([33] Al-Ahzab : 10)