مَا كَانَ عَلَى النَّبِيِّ مِنْ حَرَجٍ فِيْمَا فَرَضَ اللّٰهُ لَهٗ ۗسُنَّةَ اللّٰهِ فِى الَّذِيْنَ خَلَوْا مِنْ قَبْلُ ۗوَكَانَ اَمْرُ اللّٰهِ قَدَرًا مَّقْدُوْرًاۙ ( الأحزاب: ٣٨ )
Ma kana 'ala alnnabiyyi min harajin feema farada Allahu lahu sunnata Allahi fee allatheena khalaw min qablu wakana amru Allahi qadaran maqdooran (al-ʾAḥzāb 33:38)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
नबी पर उस काम में कोई तंगी नहीं जो अल्लाह ने उसके लिए ठहराया हो। यही अल्लाह का दस्तूर उन लोगों के मामले में भी रहा है जो पहले गुज़र चुके है - और अल्लाह का काम तो जँचा-तुला होता है। -
English Sahih:
There is not to be upon the Prophet any discomfort concerning that which Allah has imposed upon him. [This is] the established way of Allah with those [prophets] who have passed on before. And ever is the command of Allah a destiny decreed. ([33] Al-Ahzab : 38)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
जो हुक्म खुदा ने पैग़म्बर पर फर्ज क़र दिया (उसके करने) में उस पर कोई मुज़ाएका नहीं जो लोग (उनसे) पहले गुज़र चुके हैं उनके बारे में भी खुदा का (यही) दस्तूर (जारी) रहा है (कि निकाह में तंगी न की) और खुदा का हुक्म तो (ठीक अन्दाज़े से) मुक़र्रर हुआ होता है