فَالْيَوْمَ لَا يَمْلِكُ بَعْضُكُمْ لِبَعْضٍ نَّفْعًا وَّلَا ضَرًّا ۗوَنَقُوْلُ لِلَّذِيْنَ ظَلَمُوْا ذُوْقُوْا عَذَابَ النَّارِ الَّتِيْ كُنْتُمْ بِهَا تُكَذِّبُوْنَ ( سبإ: ٤٢ )
But today
فَٱلْيَوْمَ
तो आज के दिन
not
لَا
ना मालिक होगा
possess power
يَمْلِكُ
ना मालिक होगा
some of you
بَعْضُكُمْ
बाज़ तुम्हारा
on others
لِبَعْضٍ
बाज़ के लिए
to benefit
نَّفْعًا
किसी नफ़ा का
and not
وَلَا
और ना
to harm
ضَرًّا
किसी नुक़्सान का
and We will say
وَنَقُولُ
और हम कहेंगे
to those
لِلَّذِينَ
उनको जिन्होंने
who wronged
ظَلَمُوا۟
ज़ुल्म किया
"Taste
ذُوقُوا۟
चखो
(the) punishment
عَذَابَ
अज़ाब
(of) the Fire
ٱلنَّارِ
आग का
which
ٱلَّتِى
वो जो
you used
كُنتُم
थे तुम
to [it]
بِهَا
जिसे
deny"
تُكَذِّبُونَ
तुम झुठलाया करते
Faalyawma la yamliku ba'dukum liba'din naf'an wala darran wanaqoolu lillatheena thalamoo thooqoo 'athaba alnnari allatee kuntum biha tukaththiboona (Sabaʾ 34:42)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'अतः आज न तो तुम परस्पर एक-दूसरे के लाभ का अधिकार रखते हो और न हानि का।' और हम उन ज़ालिमों से कहेंगे, 'अब उस आग की यातना का मज़ा चखो, जिसे तुम झुठलाते रहे हो।'
English Sahih:
But today [i.e., the Day of Judgement] you do not hold for one another [the power of] benefit or harm, and We will say to those who wronged, "Taste the punishment of the Fire, which you used to deny." ([34] Saba : 42)