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ۨالَّذِيْٓ اَحَلَّنَا دَارَ الْمُقَامَةِ مِنْ فَضْلِهٖۚ لَا يَمَسُّنَا فِيْهَا نَصَبٌ وَّلَا يَمَسُّنَا فِيْهَا لُغُوْبٌ   ( فاطر: ٣٥ )

The One Who
ٱلَّذِىٓ
वो जिसने
has settled us
أَحَلَّنَا
ला उतारा हमें
(in) a Home
دَارَ
घर में
(of) Eternity
ٱلْمُقَامَةِ
दाइमी क़याम के
(out) of
مِن
अपने फ़ज़ल से
His Bounty
فَضْلِهِۦ
अपने फ़ज़ल से
Not
لَا
नहीं पहुँचती हमें
touches us
يَمَسُّنَا
नहीं पहुँचती हमें
therein
فِيهَا
इसमें
any fatigue
نَصَبٌ
कोई मशक़्क़त
and not
وَلَا
और नहीं
touches
يَمَسُّنَا
पहुँचती हमें
therein
فِيهَا
इसमें
weariness"
لُغُوبٌ
कोई थकावट

Allathee ahallana dara almuqamati min fadlihi la yamassuna feeha nasabun wala yamassuna feeha lughoobun (Fāṭir 35:35)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जिसने हमें अपने उदार अनुग्रह से रहने के ऐसे घर में उतारा जहाँ न हमें कोई मशक़्क़त उठानी पड़ती है और न हमें कोई थकान ही आती है।'

English Sahih:

He who has settled us in the home of duration [i.e., Paradise] out of His bounty. There touches us not in it any fatigue, and there touches us not in it weariness [of mind]." ([35] Fatir : 35)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जिसने हमको अपने फज़ल (व करम) से हमेशगी के घर (बेहिश्त) में उतारा (मेहमान किया) जहाँ हमें कोई तकलीफ छुयेगी भी तो नहीं और न कोई थकान ही पहुँचेगी