Skip to main content

وَاٰيَةٌ لَّهُمُ الْاَرْضُ الْمَيْتَةُ ۖاَحْيَيْنٰهَا وَاَخْرَجْنَا مِنْهَا حَبًّا فَمِنْهُ يَأْكُلُوْنَ  ( يس: ٣٣ )

And a Sign
وَءَايَةٌ
और एक निशानी है
for them
لَّهُمُ
उनके लिए
(is) the earth
ٱلْأَرْضُ
ज़मीन
dead
ٱلْمَيْتَةُ
मुर्दा
We give it life
أَحْيَيْنَٰهَا
ज़िन्दा किया हमने उसे
and We bring forth
وَأَخْرَجْنَا
और निकाला हमने
from it
مِنْهَا
उससे
grain
حَبًّا
ग़ल्ला
and from it
فَمِنْهُ
तो उससे
they eat
يَأْكُلُونَ
वो खाते हैं

Waayatun lahumu alardu almaytatu ahyaynaha waakhrajna minha habban faminhu yakuloona (Yāʾ Sīn 36:33)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और एक निशानी उनके लिए मृत भूमि है। हमने उसे जीवित किया और उससे अनाज निकाला, तो वे खाते है

English Sahih:

And a sign for them is the dead earth. We have brought it to life and brought forth from it grain, and from it they eat. ([36] Ya-Sin : 33)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और उनके (समझने) के लिए मेरी कुदरत की एक निशानी मुर्दा (परती) ज़मीन है कि हमने उसको (पानी से) ज़िन्दा कर दिया और हम ही ने उससे दाना निकाला तो उसे ये लोग खाया करते हैं