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وَمَنْ يَّكْسِبْ اِثْمًا فَاِنَّمَا يَكْسِبُهٗ عَلٰى نَفْسِهٖ ۗ وَكَانَ اللّٰهُ عَلِيْمًا حَكِيْمًا   ( النساء: ١١١ )

And whoever
وَمَن
और जो कोई
earns
يَكْسِبْ
कमाए
sin
إِثْمًا
कोई गुनाह
then only
فَإِنَّمَا
तो बेशक
he earns it
يَكْسِبُهُۥ
वो कमाता है उसे
against
عَلَىٰ
अपने ख़िलाफ़
his soul
نَفْسِهِۦۚ
अपने ख़िलाफ़
And is
وَكَانَ
और है
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
All-Knowing
عَلِيمًا
बहुत इल्म वाला
All-Wise
حَكِيمًا
बहुत हिकमत वाला

Waman yaksib ithman fainnama yaksibuhu 'ala nafsihi wakana Allahu 'aleeman hakeeman (an-Nisāʾ 4:111)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और जो व्यक्ति गुनाह कमाए, तो वह अपने ही लिए कमाता है। अल्लाह तो सर्वज्ञ, तत्वदर्शी है

English Sahih:

And whoever earns [i.e., commits] a sin only earns it against himself. And Allah is ever Knowing and Wise. ([4] An-Nisa : 111)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जो शख्स कोई गुनाह करता है तो उससे कुछ अपना ही नुक़सान करता है और ख़ुदा तो (हर चीज़ से) वाक़िफ़ (और) बड़ी तदबीर वाला है