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وَاللّٰهُ يُرِيْدُ اَنْ يَّتُوْبَ عَلَيْكُمْ ۗ وَيُرِيْدُ الَّذِيْنَ يَتَّبِعُوْنَ الشَّهَوٰتِ اَنْ تَمِيْلُوْا مَيْلًا عَظِيْمًا  ( النساء: ٢٧ )

And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह
wishes
يُرِيدُ
चाहता है
to
أَن
कि
accept repentance
يَتُوبَ
वो मेहरबान हो
from you
عَلَيْكُمْ
तुम पर
but wish
وَيُرِيدُ
और चाहते हैं
those who
ٱلَّذِينَ
वो जो
follow
يَتَّبِعُونَ
पैरवी करते हैं
the passions
ٱلشَّهَوَٰتِ
ख़्वाहिशात की
that
أَن
कि
you deviate -
تَمِيلُوا۟
तुम झुक जाओ
(into) a deviation
مَيْلًا
झुक जाना
great
عَظِيمًا
बहुत बड़ा

WaAllahu yureedu an yatooba 'alaykum wayureedu allatheena yattabi'oona alshshahawati an tameeloo maylan 'atheeman (an-Nisāʾ 4:27)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और अल्लाह चाहता है कि जो तुमपर दयादृष्टि करे, किन्तु जो लोग अपनी तुच्छ इच्छाओं का पालन करते है, वे चाहते है कि तुम राह से हटकर बहुत दूर जा पड़ो

English Sahih:

Allah wants to accept your repentance, but those who follow [their] passions want you to digress [into] a great deviation. ([4] An-Nisa : 27)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और ख़ुदा तो चाहता है कि तुम्हारी तौबा क़ुबूल