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فَلَا وَرَبِّكَ لَا يُؤْمِنُوْنَ حَتّٰى يُحَكِّمُوْكَ فِيْمَا شَجَرَ بَيْنَهُمْ ثُمَّ لَا يَجِدُوْا فِيْٓ اَنْفُسِهِمْ حَرَجًا مِّمَّا قَضَيْتَ وَيُسَلِّمُوْا تَسْلِيْمًا   ( النساء: ٦٥ )

But no
فَلَا
पस नहीं
by your Lord
وَرَبِّكَ
क़सम है आपके रब की
not
لَا
नहीं वो मोमिन हो सकते
will they believe
يُؤْمِنُونَ
नहीं वो मोमिन हो सकते
until
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
they make you judge
يُحَكِّمُوكَ
वो मुन्सिफ़ बनाऐं आपको
about what
فِيمَا
उस मामले में जो
arises
شَجَرَ
इख़्तिलाफ़ हुआ
between them
بَيْنَهُمْ
दर्मियान उनके
then
ثُمَّ
फिर
not
لَا
ना वो पाऐं
they find
يَجِدُوا۟
ना वो पाऐं
in
فِىٓ
अपने नफ़्सों में
themselves
أَنفُسِهِمْ
अपने नफ़्सों में
any discomfort
حَرَجًا
कोई तंगी
about what
مِّمَّا
उससे जो
you (have) decided
قَضَيْتَ
फैसला करें आप
and submit
وَيُسَلِّمُوا۟
और वो तसलीम कर लें
(in full) submission
تَسْلِيمًا
पूरी तरह तसलीम करना

Fala warabbika la yuminoona hatta yuhakkimooka feema shajara baynahum thumma la yajidoo fee anfusihim harajan mimma qadayta wayusallimoo tasleeman (an-Nisāʾ 4:65)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

तो तुम्हें तुम्हारे रब की कसम! ये ईमानवाले नहीं हो सकते जब तक कि अपने आपस के झगड़ो में ये तुमसे फ़ैसला न कराएँ। फिर जो फ़ैसला तुम कर दो, उसपर ये अपने दिलों में कोई तंगी न पाएँ और पूरी तरह मान ले

English Sahih:

But no, by your Lord, they will not [truly] believe until they make you, [O Muhammad], judge concerning that over which they dispute among themselves and then find within themselves no discomfort from what you have judged and submit in [full, willing] submission. ([4] An-Nisa : 65)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

पस (ऐ रसूल) तुम्हारे परवरदिगार की क़सम ये लोग सच्चे मोमिन न होंगे तावक्ते क़ि अपने बाहमी झगड़ों में तुमको अपना हाकिम (न) बनाएं फिर (यही नहीं बल्कि) जो कुछ तुम फैसला करो उससे किसी तरह दिलतंग भी न हों बल्कि ख़ुशी ख़ुशी उसको मान लें