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وَاَنْذِرْهُمْ يَوْمَ الْاٰزِفَةِ اِذِ الْقُلُوْبُ لَدَى الْحَنَاجِرِ كَاظِمِيْنَ ەۗ مَا لِلظّٰلِمِيْنَ مِنْ حَمِيْمٍ وَّلَا شَفِيْعٍ يُّطَاعُۗ  ( غافر: ١٨ )

And warn them
وَأَنذِرْهُمْ
और आप डराऐं उन्हें
(of the) Day
يَوْمَ
उस दिन से
the Approaching
ٱلْءَازِفَةِ
जो क़रीब आ लगा है
when
إِذِ
जब
the hearts
ٱلْقُلُوبُ
दिल
(are) at
لَدَى
क़रीब(होंगे)
the throats
ٱلْحَنَاجِرِ
हलक़ के
choked
كَٰظِمِينَۚ
ग़म से भरे हुए
Not
مَا
नहीं
for the wrongdoers
لِلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों के लिए
any
مِنْ
कोई गहरा दोस्त
intimate friend
حَمِيمٍ
कोई गहरा दोस्त
and no
وَلَا
और ना
intercessor
شَفِيعٍ
कोई सिफ़ारिशी
(who) is obeyed
يُطَاعُ
जिस की बात मानी जाए

Waanthirhum yawma alazifati ithi alquloobu lada alhanajiri kathimeena ma lilththalimeena min hameemin wala shafee'in yuta'u (Ghāfir 40:18)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

(उन्हें अल्लाह की ओर बुलाओ) और उन्हें निकट आ जानेवाले (क़ियामत के) दिन से सावधान कर दो, जबकि उर (हृदय) कंठ को आ लगे होंगे और वे दबा रहे होंगे। ज़ालिमों का न कोई घनिष्ट मित्र होगा और न ऐसा सिफ़ारिशी जिसकी बात मानी जाए

English Sahih:

And warn them, [O Muhammad], of the Approaching Day, when hearts are at the throats, filled [with distress]. For the wrongdoers there will be no devoted friend and no intercessor [who is] obeyed. ([40] Ghafir : 18)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) तुम उन लोगों को उस दिन से डराओ जो अनक़रीब आने वाला है जब लोगों के कलेजे घुट घुट के (मारे डर के) मुँह को आ जाएंगें (उस वक्त) न तो सरकशों का कोई सच्चा दोस्त होगा और न कोई ऐसा सिफारिशी जिसकी बात मान ली जाए