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وَاِنِّيْ عُذْتُ بِرَبِّيْ وَرَبِّكُمْ اَنْ تَرْجُمُوْنِۚ   ( الدخان: ٢٠ )

And indeed I
وَإِنِّى
और बेशक मैं
[I] seek refuge
عُذْتُ
पनाह ले चुका मैं
with my Lord
بِرَبِّى
अपने रब की
and your Lord
وَرَبِّكُمْ
और तुम्हारे रब की
lest
أَن
कि
you stone me
تَرْجُمُونِ
तुम संगसार करो मुझे

Wainnee 'uthtu birabbee warabbikum an tarjumooni (ad-Dukhān 44:20)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और मैं इससे अपने रब और तुम्हारे रब की शरण ले चुका हूँ कि तुम मुझ पर पथराव करके मार डालो

English Sahih:

And indeed, I have sought refuge in my Lord and your Lord, lest you stone me. ([44] Ad-Dukhan : 20)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और इस बात से कि तुम मुझे संगसार करो मैं अपने और तुम्हारे परवरदिगार (ख़ुदा) की पनाह मांगता हूँ