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قُلْ لِّلَّذِيْنَ اٰمَنُوْا يَغْفِرُوْا لِلَّذِيْنَ لَا يَرْجُوْنَ اَيَّامَ اللّٰهِ لِيَجْزِيَ قَوْمًا ۢبِمَا كَانُوْا يَكْسِبُوْنَ   ( الجاثية: ١٤ )

Say
قُل
कह दीजिए
to those who
لِّلَّذِينَ
उन लोगों को जो
believe
ءَامَنُوا۟
ईमान लाए
(to) forgive
يَغْفِرُوا۟
कि वो माफ़ कर दें
those who
لِلَّذِينَ
उनको जो
(do) not
لَا
नहीं वो उम्मीद रखते
hope
يَرْجُونَ
नहीं वो उम्मीद रखते
(for the) days
أَيَّامَ
अल्लाह के दिनों कि
(of) Allah;
ٱللَّهِ
अल्लाह के दिनों कि
that He may recompense
لِيَجْزِىَ
ताकि वो बदला दे
a people
قَوْمًۢا
एक क़ौम को
for what
بِمَا
बवजह उसके जो
they used (to)
كَانُوا۟
थे वो
earn
يَكْسِبُونَ
वो कमाई करते

Qul lillatheena amanoo yaghfiroo lillatheena la yarjoona ayyama Allahi liyajziya qawman bima kanoo yaksiboona (al-Jāthiyah 45:14)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जो लोग ईमान लाए उनसे कह दो कि, 'वे उन लोगों को क्षमा करें (उनकी करतूतों पर ध्यान न दे) अल्लाह के दिनों की आशा नहीं रखते, ताकि वह इसके परिणामस्वरूप उन लोगों को उनकी अपनी कमाई का बदला दे

English Sahih:

Say, [O Muhammad], to those who have believed that they [should] forgive those who expect not the days of Allah [i.e., of His retribution] so that He may recompense a people for what they used to earn. ([45] Al-Jathiyah : 14)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) मोमिनों से कह दो कि जो लोग ख़ुदा के दिनों की (जो जज़ा के लिए मुक़र्रर हैं) तवक्क़ो नहीं रखते उनसे दरगुज़र करें ताकि वह लोगों के आमाल का बदला दे