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وَمِنَ الَّذِيْنَ قَالُوْٓا اِنَّا نَصٰرٰٓى اَخَذْنَا مِيْثَاقَهُمْ فَنَسُوْا حَظًّا مِّمَّا ذُكِّرُوْا بِهٖۖ فَاَغْرَيْنَا بَيْنَهُمُ الْعَدَاوَةَ وَالْبَغْضَاۤءَ اِلٰى يَوْمِ الْقِيٰمَةِ ۗ وَسَوْفَ يُنَبِّئُهُمُ اللّٰهُ بِمَا كَانُوْا يَصْنَعُوْنَ  ( المائدة: ١٤ )

And from
وَمِنَ
और उनमें से जिन्होंने
those who
ٱلَّذِينَ
और उनमें से जिन्होंने
said
قَالُوٓا۟
कहा
Indeed we
إِنَّا
बेशक हम
(are) Christians"
نَصَٰرَىٰٓ
नस्रानी हैं
We took
أَخَذْنَا
लिया हमने
their covenant
مِيثَٰقَهُمْ
पुख़्ता अहद उनका
but they forgot
فَنَسُوا۟
तो वो भूल गए
a part
حَظًّا
एक हिस्सा
of what
مِّمَّا
उसमें से जो
they were reminded
ذُكِّرُوا۟
वो नसीहत किए गए थे
of [it]
بِهِۦ
जिसकी
So We aroused
فَأَغْرَيْنَا
तो डाल दिया हमने
between them
بَيْنَهُمُ
दर्मियान उनके
[the] enmity
ٱلْعَدَاوَةَ
अदावत
and [the] hatred
وَٱلْبَغْضَآءَ
और बुग़्ज़ को
till
إِلَىٰ
क़यामत के दिन तक
(the) Day
يَوْمِ
क़यामत के दिन तक
(of) the Resurrection
ٱلْقِيَٰمَةِۚ
क़यामत के दिन तक
And soon
وَسَوْفَ
और अनक़रीब
will inform them
يُنَبِّئُهُمُ
ख़बर देगा उन्हें
Allah
ٱللَّهُ
अल्लाह
of what
بِمَا
उसकी जो
they used to
كَانُوا۟
थे वो
do
يَصْنَعُونَ
वो करते/बनाते

Wamina allatheena qaloo inna nasara akhathna meethaqahum fanasoo haththan mimma thukkiroo bihi faaghrayna baynahumu al'adawata waalbaghdaa ila yawmi alqiyamati wasawfa yunabbiohumu Allahu bima kanoo yasna'oona (al-Māʾidah 5:14)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और हमने उन लोगों से भी दृढ़ वचन लिया था, जिन्होंने कहा था कि हम नसारा (ईसाई) हैं, किन्तु जो कुछ उन्हें जिसके द्वारा याद कराया गया था उसका एक बड़ा भाग भुला बैठे। फिर हमने उनके बीच क़ियामत तक के लिए शत्रुता और द्वेष की आग भड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बता देगा, जो कुछ वे बनाते रहे थे

English Sahih:

And from those who say, "We are Christians" We took their covenant; but they forgot a portion of that of which they were reminded. So We caused among them animosity and hatred until the Day of Resurrection. And Allah is going to inform them about what they used to do. ([5] Al-Ma'idah : 14)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जो लोग कहते हैं कि हम नसरानी हैं उनसे (भी) हमने ईमान का एहद (व पैमान) लिया था मगर जब जिन जिन बातों की उन्हें नसीहत की गयी थी उनमें से एक बड़ा हिस्सा (रिसालत) भुला बैठे तो हमने भी (उसकी सज़ा में) क़यामत तक उनमें बाहम अदावत व दुशमनी की बुनियाद डाल दी और ख़ुदा उन्हें बहुत जल्द (क़यामत के दिन) बता देगा कि वह क्या क्या करते थे