حُرِّمَتْ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةُ وَالدَّمُ وَلَحْمُ الْخِنْزِيْرِ وَمَآ اُهِلَّ لِغَيْرِ اللّٰهِ بِهٖ وَالْمُنْخَنِقَةُ وَالْمَوْقُوْذَةُ وَالْمُتَرَدِّيَةُ وَالنَّطِيْحَةُ وَمَآ اَكَلَ السَّبُعُ اِلَّا مَا ذَكَّيْتُمْۗ وَمَا ذُبِحَ عَلَى النُّصُبِ وَاَنْ تَسْتَقْسِمُوْا بِالْاَزْلَامِۗ ذٰلِكُمْ فِسْقٌۗ اَلْيَوْمَ يَىِٕسَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا مِنْ دِيْنِكُمْ فَلَا تَخْشَوْهُمْ وَاخْشَوْنِۗ اَلْيَوْمَ اَكْمَلْتُ لَكُمْ دِيْنَكُمْ وَاَتْمَمْتُ عَلَيْكُمْ نِعْمَتِيْ وَرَضِيْتُ لَكُمُ الْاِسْلَامَ دِيْنًاۗ فَمَنِ اضْطُرَّ فِيْ مَخْمَصَةٍ غَيْرَ مُتَجَانِفٍ لِّاِثْمٍۙ فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِيْمٌ ( المائدة: ٣ )
Hurrimat 'alaykumu almaytatu waalddamu walahmu alkhinzeeri wama ohilla lighayri Allahi bihi waalmunkhaniqatu waalmawqoothatu waalmutaraddiyatu waalnnateehatu wama akala alssabu'u illa ma thakkaytum wama thubiha 'ala alnnusubi waan tastaqsimoo bialazlami thalikum fisqun alyawma yaisa allatheena kafaroo min deenikum fala takhshawhum waikhshawni alyawma akmaltu lakum deenakum waatmamtu 'alaykum ni'matee waradeetu lakumu alislama deenan famani idturra fee makhmasatin ghayra mutajanifin liithmin fainna Allaha ghafoorun raheemun (al-Māʾidah 5:3)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
तुम्हारे लिए हराम हुआ मुर्दार रक्त, सूअर का मांस और वह जानवर जिसपर अल्लाह के अतिरिक्त किसी और का नाम लिया गया हो और वह जो घुटकर या चोट खाकर या ऊँचाई से गिरकर या सींग लगने से मरा हो या जिसे किसी हिंसक पशु ने फाड़ खाया हो - सिवाय उसके जिसे तुमने ज़बह कर लिया हो - और वह किसी थान पर ज़बह कियी गया हो। और यह भी (तुम्हारे लिए हराम हैं) कि तीरो के द्वारा किस्मत मालूम करो। यह आज्ञा का उल्लंघन है - आज इनकार करनेवाले तुम्हारे धर्म की ओर से निराश हो चुके हैं तो तुम उनसे न डरो, बल्कि मुझसे डरो। आज मैंने तुम्हारे धर्म को पूर्ण कर दिया और तुमपर अपनी नेमत पूरी कर दी और मैंने तुम्हारे धर्म के रूप में इस्लाम को पसन्द किया - तो जो कोई भूख से विवश हो जाए, परन्तु गुनाह की ओर उसका झुकाव न हो, तो निश्चय ही अल्लाह अत्यन्त क्षमाशील, दयावान है
English Sahih:
Prohibited to you are dead animals, blood, the flesh of swine, and that which has been dedicated to other than Allah, and [those animals] killed by strangling or by a violent blow or by a head-long fall or by the goring of horns, and those from which a wild animal has eaten, except what you [are able to] slaughter [before its death], and those which are sacrificed on stone altars, and [prohibited is] that you seek decision through divining arrows. That is grave disobedience. This day those who disbelieve have despaired of [defeating] your religion; so fear them not, but fear Me. This day I have perfected for you your religion and completed My favor upon you and have approved for you IsLam as religion. But whoever is forced by severe hunger with no inclination to sin – then indeed, Allah is Forgiving and Merciful. ([5] Al-Ma'idah : 3)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(लोगों) मरा हुआ जानवर और ख़ून और सुअर का गोश्त और जिस (जानवर) पर (ज़िबाह) के वक्त ख़ुदा के सिवा किसी दूसरे का नाम लिया जाए और गर्दन मरोड़ा हुआ और चोट खाकर मरा हुआ और जो कुएं (वगैरह) में गिरकर मर जाए और जो सींग से मार डाला गया हो और जिसको दरिन्दे ने फाड़ खाया हो मगर जिसे तुमने मरने के क़ब्ल ज़िबाह कर लो और (जो जानवर) बुतों (के थान) पर चढ़ा कर ज़िबाह किया जाए और जिसे तुम (पाँसे) के तीरों से बाहम हिस्सा बॉटो (ग़रज़ यह सब चीज़ें) तुम पर हराम की गयी हैं ये गुनाह की बात है (मुसलमानों) अब तो कुफ्फ़ार तुम्हारे दीन से (फिर जाने से) मायूस हो गए तो तुम उनसे तो डरो ही नहीं बल्कि सिर्फ मुझी से डरो आज मैंने तुम्हारे दीन को कामिल कर दिया और तुमपर अपनी नेअमत पूरी कर दी और तुम्हारे (इस) दीने इस्लाम को पसन्द किया पस जो शख्स भूख़ में मजबूर हो जाए और गुनाह की तरफ़ माएल भी न हो (और कोई चीज़ खा ले) तो ख़ुदा बेशक बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है