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قُلْ يٰٓاَهْلَ الْكِتٰبِ هَلْ تَنْقِمُوْنَ مِنَّآ اِلَّآ اَنْ اٰمَنَّا بِاللّٰهِ وَمَآ اُنْزِلَ اِلَيْنَا وَمَآ اُنْزِلَ مِنْ قَبْلُۙ وَاَنَّ اَكْثَرَكُمْ فٰسِقُوْنَ  ( المائدة: ٥٩ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"O People
يَٰٓأَهْلَ
ऐ अहले किताब
(of) the Book!
ٱلْكِتَٰبِ
ऐ अहले किताब
Do
هَلْ
नहीं
you resent
تَنقِمُونَ
तुम बैर/दुश्मनी रखते
[of] us
مِنَّآ
हमसे
except
إِلَّآ
मगर
that
أَنْ
ये कि
we believe
ءَامَنَّا
ईमान लाए हम
in Allah
بِٱللَّهِ
अल्लाह पर
and what
وَمَآ
और जो कुछ
has been revealed
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
to us
إِلَيْنَا
तरफ़ हमारे
and what
وَمَآ
और जो कुछ
was revealed
أُنزِلَ
नाज़िल किया गया
from
مِن
इससे पहले
before
قَبْلُ
इससे पहले
and that
وَأَنَّ
और बेशक
most of you
أَكْثَرَكُمْ
अक्सर तुम्हारे
(are) defiantly disobedient"
فَٰسِقُونَ
फ़ासिक़ हैं

Qul ya ahla alkitabi hal tanqimoona minna illa an amanna biAllahi wama onzila ilayna wama onzila min qablu waanna aktharakum fasiqoona (al-Māʾidah 5:59)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कहो, 'ऐ किताबवालों! क्या इसके सिवा हमारी कोई और बात तुम्हें बुरी लगती है कि हम अल्लाह और उस चीज़ पर ईमान लाए, जो हमारी ओर उतारी गई, और जो पहले उतारी जा चुकी है? और यह कि तुममें से अधिकांश लोग अवज्ञाकारी है।'

English Sahih:

Say, "O People of the Scripture, do you resent us except [for the fact] that we have believed in Allah and what was revealed to us and what was revealed before and because most of you are defiantly disobedient?" ([5] Al-Ma'idah : 59)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल अहले किताब से कहो कि) आख़िर तुम हमसे इसके सिवा और क्या ऐब लगा सकते हो कि हम ख़ुदा पर और जो (किताब) हमारे पास भेजी गयी है और जो हमसे पहले भेजी गयी ईमान लाए हैं और ये तुममें के अक्सर बदकार हैं