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فَاتَّقُوا اللّٰهَ مَا اسْتَطَعْتُمْ وَاسْمَعُوْا وَاَطِيْعُوْا وَاَنْفِقُوْا خَيْرًا لِّاَنْفُسِكُمْۗ وَمَنْ يُّوْقَ شُحَّ نَفْسِهٖ فَاُولٰۤىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ   ( التغابن: ١٦ )

So fear
فَٱتَّقُوا۟
पस डरो
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह से
as much as
مَا
जितनी
you are able
ٱسْتَطَعْتُمْ
इस्तिताअत रखते हो तुम
and listen
وَٱسْمَعُوا۟
और सुनो
and obey
وَأَطِيعُوا۟
और इताअत करो
and spend;
وَأَنفِقُوا۟
और ख़र्च करो
(it is) better
خَيْرًا
बेहतर है
for your souls
لِّأَنفُسِكُمْۗ
तुम्हारे नफ़्सों के लिए
And whoever
وَمَن
और जो कोई
is saved
يُوقَ
बचा लिया गया
(from the) greediness
شُحَّ
बख़ीली से
(of) his soul
نَفْسِهِۦ
अपने नफ़्स की
then those
فَأُو۟لَٰٓئِكَ
तो यही लोग हैं
[they]
هُمُ
वो
(are) the successful ones
ٱلْمُفْلِحُونَ
जो फ़लाह पाने वाले हैं

Faittaqoo Allaha ma istata'tum waisma'oo waatee'oo waanfiqoo khayran lianfusikum waman yooqa shuhha nafsihi faolaika humu almuflihoona (at-Taghābun 64:16)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अतः जहाँ तक तुम्हारे बस में हो अल्लाह का डर रखो और सुनो और आज्ञापालन करो और ख़र्च करो अपनी भलाई के लिए। और जो अपने मन के लोभ एवं कृपणता से सुरक्षित रहा तो ऐसे ही लोग सफल है

English Sahih:

So fear Allah as much as you are able and listen and obey and spend [in the way of Allah]; it is better for your selves. And whoever is protected from the stinginess of his soul – it is those who will be the successful. ([64] At-Taghabun : 16)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो जहाँ तक तुम से हो सके ख़ुदा से डरते रहो और (उसके एहकाम) सुनो और मानों और अपनी बेहतरी के वास्ते (उसकी राह में) ख़र्च करो और जो शख़्श अपने नफ्स की हिरस से बचा लिया गया तो ऐसे ही लोग मुरादें पाने वाले हैं