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اَفَاَمِنُوْا مَكْرَ اللّٰهِۚ فَلَا يَأْمَنُ مَكْرَ اللّٰهِ اِلَّا الْقَوْمُ الْخٰسِرُوْنَ ࣖ   ( الأعراف: ٩٩ )

Then did they feel secure
أَفَأَمِنُوا۟
क्या भला वो बेख़ौफ़ हो गए
(from the) plan
مَكْرَ
अल्लाह की तदबीर से
(of) Allah?
ٱللَّهِۚ
अल्लाह की तदबीर से
But not
فَلَا
पस नहीं
feel secure
يَأْمَنُ
बेख़ौफ़ हुआ करते
(from the) plan
مَكْرَ
अल्लाह की तदबीर से
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की तदबीर से
except
إِلَّا
मगर
the people
ٱلْقَوْمُ
वो लोग
(who are) the losers
ٱلْخَٰسِرُونَ
जो ख़सारा पाने वाले हैं

Afaaminoo makra Allahi fala yamanu makra Allahi illa alqawmu alkhasiroona (al-ʾAʿrāf 7:99)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

आख़िर क्या वे अल्लाह की चाल से निश्चिन्त हो गए थे? तो (समझ लो उन्हें टोटे में पड़ना ही था, क्योंकि) अल्लाह की चाल से तो वही लोग निश्चित होते है, जो टोटे में पड़नेवाले होते है

English Sahih:

Then, did they feel secure from the plan of Allah? But no one feels secure from the plan of Allah except the losing people. ([7] Al-A'raf : 99)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो क्या ये लोग ख़ुदा की तद्बीर से ढीट हो गए हैं तो (याद रहे कि) ख़ुदा के दॉव से घाटा उठाने वाले ही निडर हो बैठे हैं