وَاِذْ يَعِدُكُمُ اللّٰهُ اِحْدَى الطَّاۤىِٕفَتَيْنِ اَنَّهَا لَكُمْ وَتَوَدُّوْنَ اَنَّ غَيْرَ ذَاتِ الشَّوْكَةِ تَكُوْنُ لَكُمْ وَيُرِيْدُ اللّٰهُ اَنْ يُّحِقَّ الْحَقَّ بِكَلِمٰتِهٖ وَيَقْطَعَ دَابِرَ الْكٰفِرِيْنَۙ ( الأنفال: ٧ )
Waith ya'idukumu Allahu ihda alttaifatayni annaha lakum watawaddoona anna ghayra thati alshshawkati takoonu lakum wayureedu Allahu an yuhiqqa alhaqqa bikalimatihi wayaqta'a dabira alkafireena (al-ʾAnfāl 8:7)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और याद करो जब अल्लाह तुमसे वादा कर रहा था कि दो गिरोहों में से एक तुम्हारे हाथ आएगा और तुम चाहते थे कि तुम्हें वह हाथ आए, जो निःशस्त्र था, हालाँकि अल्लाह चाहता था कि अपने वचनों से सत्य को सत्य कर दिखाए और इनकार करनेवालों की जड़ काट दे
English Sahih:
[Remember, O believers], when Allah promised you one of the two groups – that it would be yours – and you wished that the unarmed one would be yours. But Allah intended to establish the truth by His words and to eliminate the disbelievers ([8] Al-Anfal : 7)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और उसे (अपनी ऑंखों से) देख रहे हैं और (ये वक्त था) जब ख़ुदा तुमसे वायदा कर रहा था कि (कुफ्फार मक्का) दो जमाअतों में से एक तुम्हारे लिए ज़रूरी हैं और तुम ये चाहते थे कि कमज़ोर जमाअत तुम्हारे हाथ लगे (ताकि बग़ैर लड़े भिड़े माले ग़नीमत हाथ आ जाए) और ख़ुदा ये चाहता था कि अपनी बातों से हक़ को साबित (क़दम) करें और काफिरों की जड़ काट डाले